दु:ख के बाद सान्त्वना ---- Jesus

    हम उन्हें धन्य समझते हैं, जो दृढ बने रहे । आप लोगों ने योब के धैर्य के विषय में सुना है और आप जानते हैं कि प्रभु ने अन्त में उसके साथ कैसा व्यवहार किया, क्योंकि प्रभु दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण है (याकूब 5:11)

दु:ख के बाद सान्त्वना —- Jesus

दु:ख के बाद सान्त्वना ---- Jesus


     ईश्वर अपनी सन्तानें रूपी हम से जो दया और हमदर्दी दिखाते हैं, उसकी कहानी योब अपनी जि़न्दगी के ज़रिए हमसे बताते हैं। एक मनुष्य की कल्पना के परे योब दु:ख, पीडा और अश्रु के पथ से चलते थे । इस माहौल में भी उन्होंने न्याय और धर्म का पथ नहीं छोडा। यह वचन का साक्ष्य है । ऊस देश में अय्यूब नामक मनुष्य रहता था । वह निर्दोष और निष्कपट था , ईश्वर पर श्रद्धा रखता और बुराई से दूर रहता था (योब 1:1) । धर्मात्मा व्यक्ति को क्यों जीवन में कष्टों और नष्टों का सामना करना पडता है, इस सवाल का सुव्यक्त जवाब है, योब की जि़न्दगी। बहुत सारी परेशानियों से होकर उसे गुजरना पडा, किन्तु अन्त मैं ईश्वर ने उसे दुगुनी कृपा दे दी । ईश्वर ज़रूर हम पर भी कृपावर्षा करेंगे। वे हमारे दु:खों और कष्टों को दूर करेंगे, हमारे आँसू पोछ कर सान्त्वाना देंगे । यदि तुम प्रभु में अपना आनन्द पाओगे, तो वह तुम्हारा मनोरथ पूरा करेगा । प्रभु को अपना जीवन अर्पित करो, उस पर भरोसा रखो और वह तुम्हारी रक्षा करेगा (स्तोत्र 37:4-5) । 

     हमारे आँसू पोंछ कर हमारी कमजो़रियों को सफलता बनाने में ईश्वर सामर्थ हैं, ऐसा दिल रखने वाले हैं,हमारा ईश्वर । ईश्वर का वचन जैसे हमें पढाता है, वैसे योब सब प्रकार से अनुग्रहों से भरपूर जीवन बिताते थे, उस समय के सबसे अमीर भी थे। उसके पास सात हजा़र भेडें, तीन हजार ऊँट, पाँच-सौ जोडी बैल, पाँच सौ गधियाँ और बहुत से नौकर चाकर थे (योब 1:3)। सुख के दिन आनन्द मनाओ’ दुख के दिन यह सोचो कि ईश्वर ने दोनों को बनाया है। मनुष्य नहीं जानता कि उसके बाद क्या होने वाला है (उपदेशक 7:14) । इस वचन का आह्वान योब की जिन्द़गी में सार्थक था। वे चाव, खुशी, विनम्रता और धार्मिकता के साथ ईश्वर के सामने बर्ताव करते थे। योब के कर्म के बारे में वचन का साक्ष्य हे:- क्या तुम ने मेरे सेवक अय्यूब पर ध्यान दिया है ? पृथ्वी भर में उसके समान कोई नहीं, वह निर्दोष और निष्कपट हैं, वह ईश्वर पर श्रद्धा रखता और बुराई से दूर रहता है (योब 1:8)। ईश्वरदत्त सभी भलाइयों के बारे में वे कृतज्ञ थे। उनकी आस्था थी कि सर्वशक्त ईश्वर अपने साथ रह कर मेरा पालन-पोषण करते हैं और अपना पथ दिखाते हैं। यह विश्वास उनका बल था। योब ने कहा: जब मैं समृद्धि में जीवन बिताता, जब मुझे ईश्वर की कृपादृष्टि प्राप्त थी। जब सर्वशक्तिमान मेरे साथ था (योब 29:4) । 

     ईश्वर ने इस्राएल के लिए लडने के लिए योशुआ को बुलाया, तब ईश्वर ने जो प्रतिज्ञा की, वह ध्यातव्य है: जब तक तुम जीवित रहोगे, कोई भी तुम्हारे सामने नहीं टिक पायेगा। जैसे मैं मूसा के साथ रहा, वैसे ही तुम्हारे साथ भी रहूँगा (योशुआ 1:5)। इस प्रकार गिदयोन से ईश्वर ने कही, मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। तुम मिदयानियों को पराजित करोगे, मानो वे एक ही आदमी हो (न्याय 6:16) । ईश्वर ने यिरमियाह को अपने नबी बनने के लिए बुलाया तब उन्हें धीरज भी धराया: उन लोगों से मत डरो । मैं तुम्हारे साथ हूँ । मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा । यह प्रभु की वाणी है (यिरमि 1: 8) ।    

     ईश्वर से भयभीत हो तथा उनसे जुडे रहें तो वे हमें और हमारे परिवार का तथा सारे कर्मक्षेत्रों को पूर्णत: अनुग्रह देंगे । इस प्रकार ईश्वरदत्त सुरक्षा के बारे में हम सचेत रहें। क्योकि ईश्वर हमारे साथ रह कर हमारी रक्षा करते हैं । यह महान भाग्य है। स्तोत्रकार कहता है: वह तुम्हारा पैर फिसलने न दे, तुम्हारा रक्षक न सोये। नहीं इस्राएल का रक्षक न तो सोता है और न झपकी लेता हे (स्तोत्र 121:3-4)। 

    जब हम पूर्णत: ईश्वर पर आसरा रखते हैं, तब वे हमें हर प्रकार की बुराई से बचाते हैं। वे अपनी रोशनी में हमें चलाता हैं।इसा न सुव्यक्त ढंग से कहा है कि मैं जीवन की ज्योति हूँ, जो मेरा अनुसरण करते हैं, वे अन्धकार से दूर रहेंगे, उसे जीवन की ज्योति मिलेगी। ईसा ने उनसे कहा: संसार की ज्योति में हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, वह अन्धकार में भटकता नहीं रहेगा। उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी (योहन 8:12)।

    जब हम ज्योति रूपी ईसा का अनुसरण करते हैं, तब हम संसार की ज्योति बन जायेंगें। उसी प्रकार तुम्हारी ज्योति मनुष्यों के सामने चमकती रहे , जिससे वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे स्वर्गिक पिता की महिमा करें (मत्ती 5:16) । 

    इसलिए डरे बिना, बेचैन हुए बिना, स्वर्ग को लक्ष्य बना कर हम दौडते रहें, नियमित रूप से दौडें; हमारे चारों ओर बहुत सारे गवाही- लोग हैं, अत: हम अपने भार और पाप छोडें, हमारे लिए निध्दारित दौड प्रतियोगिता में, स्थाई उत्साह के साथ भाग लें और दौड पूरा करें (इब्रा 12:1)

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